चलते चलते हम को रुकने के बहाने आ गये,
उन्हे देखा आज जब सपने मे, सोने के बहाने आ गये...
प्यार शुरु हुआ साइकिल से, और आज देखो मोटर के ज़माने आ गये...
यू ही रूठी जब किसी बात पर उनसे, वो अपनी जान को मनाने आ गये...
जरा सा दूर क्या गये वो हम से, ये मौसम हमे लुभाने आ गये...
आई जो पल भर को याद उनकी, तो दिल मे तराने आ गये...
ठानी जब दूरिया'न मिटाने की, तो हमको साइकिल, मोटर, प्लेन सब चलाने आ गये!!
उन्हे देखा आज जब सपने मे, सोने के बहाने आ गये...
प्यार शुरु हुआ साइकिल से, और आज देखो मोटर के ज़माने आ गये...
यू ही रूठी जब किसी बात पर उनसे, वो अपनी जान को मनाने आ गये...
जरा सा दूर क्या गये वो हम से, ये मौसम हमे लुभाने आ गये...
आई जो पल भर को याद उनकी, तो दिल मे तराने आ गये...
ठानी जब दूरिया'न मिटाने की, तो हमको साइकिल, मोटर, प्लेन सब चलाने आ गये!!